प्रश्न: मनुष्य जीवन का क्या अर्थ है?
उत्तर: मनुष्य जीवन हमें भगवान की अहेतु(जिसका कारण ना हो) से प्राप्त हुआ है|मनुष्य जीवन का अर्थ है-जीव के विकास की यात्रा अर्थात जीव(मनुष्य)अपने जीवन काल में सभी प्रकार की कामनाओ इच्छाओ से संतुष्ट होकर जीवन के श्रेष्ट क्रम में स्वयं को विकसित करते हुए ऊपर की श्रेष्ट योनियों में पहुचने का निरंतर प्रयास करे |
प्रश्न: मनुष्य जीवन का लक्ष्य क्या है?
उत्तर: मनुष्य जीवन का मूल लक्ष्य है भगवद् प्राप्ति | यदि शरीर का नाश होने से पहले-पहले इस मनुष्य शरीर में ही भगवान को तत्व से जान लेता है तब तो उसका जीवन सफल हो जाता है | परमात्मा को तत्त्व से जानकर हम अपनी चेतना को श्रेष्ट योनी में ले जा सकते है | हम उस पमात्मा के अंश है जिसने हमे जीवन दिया है तो हम अपना जीवन उसी के आधार पर चलायें और परमात्मा से एकीकार करे|
प्रश्न: मानव जीवन यात्रा कैसी होनी चाहिए?
उत्तर: जब हम साधारण सी कोई यात्रा करते है | तो अपनी सभी सुख सुविधओं का सामान अपनें साथ रखते है | यात्रा की तिथि,यात्रा का सामान खान-पान , ठहरने का स्थान आदि-आदि निर्धरित करते है | लेकिन मानव जीवन की सम्पूर्ण यात्रा कैसी हो रही है | इसपर तनिक भी विचार
नही करते है| हम भौतिक सुख-सुविधओं मे बंध कर ये भूल जाते है कि जहां से आए है वापस वहीं जाना है| अपने जीवन काल में अध्यात्मिक पहलुओ पर भी ध्यान देना आवश्यक है | भगवान के बताये हुए रास्ते पर जीवन को चलाना आवश्यक है क्योकि भगवान ही हमारे गन्तव्य(destination) स्थान है| अपने मूल उदगम स्थान को नही भूलना चाहिए |
प्रश्न: शरीर का रूप क्या है?
उत्तर: हमारा शरीर पंच महाभूत से बना है जों क्रमशः - पृथ्वी,जल,वायु और आत्मा है| पंचमहाभूत से बने इस शरीर में मल-मूत्र , कफ़, रक्त और मॉस मज्जा का संघात(जोड़) है | शरीर में घटना-बढ़ना यानि बचपन,यौवन,वृधावस्ता आदि प्रक्रियाएं है जरा (बीमारी) मृत्यु (नाश) भी है| नाम,रूप और आकार से हम इसमें भेद कर सकते है|
प्रश्न: आत्मा का स्वरुप क्या है?
उत्तर: आत्म चेतन ,शुद्ध है | शरीर के जो गुण उनसे विपरीति आत्मा के गुण है एक ही आत्मा अनेक शरीर मे एक साथ प्रकट हो रही है लेकिन भौतिक रूप से दिखायी नही देती है | आत्मा नित्य है अर्थात हमेशा रहने वाली है | आत्मा ऊर्जा के रूप में प्रकृति मे स्थित है |
प्रश्न: आत्मा और शरीर के गुण मे क्या अंतर है?
उत्तर:
आत्मा
१.आत्मा अविनाशी है |
२.आत्मा अपरिवर्तनशील है |
३.आत्मा चेतन है |
४.आत्मा निर्मल है |
५.आत्मा सत् है |
६.आत्मा आनंद स्वरुप है |
७. आत्मा अकर्ता-अभोगता है |
८.आत्मा ज्ञान स्वरुप है |
९.आत्मा शाशवत(सदा एक सा रहने वाला) है |
१०.आत्मा पुरातन(जन्म-मरण से परे) है |
शरीर
१. शरीर नाशवान है |
२. शरीर परिवर्तनशील है |
३ शरीर जड़ है |
४. शरीर विकारी है |
५. शरीर असतत है |
६. शरीर सुख-दुःख स स्वरुप है |
७. शरीर कर्ता-भोगता है |
८. शरीर अज्ञानता का स्वरूप है |
९. शरीर अशाश्वत है |
१०. शरीर नित्य नया (जन्म-मरण वाला) है |